श्री गुरु धाम मंदिर मोदीनगर
‘‘गुरु का नाम सबसे ऊपर होता है, गुरू सर्वव्यापी
देव्याशं, निष्पक्ष फैसला लेने वाला होता है।’’
श्री गुरुधाम मन्दिर, मोदीनगर
श्री गुरुधाम मन्दिर, मोदीनगर में एकमात्र मन्दिर है, जिसमें धाम शब्द आया है,
जैसे केदारनाथ धाम-जहाँ भगवान शिव का निवास स्थान है।
बद्रीनाथ धाम-जहाँ भगवान विष्णु का निवास स्थान है।
इसी तरह हमारा श्री गुरुधाम है
जहाँ पर देव गुरु श्री बृहस्पति भगवान तथा दैत्यों के गुरु श्री शुक्राचार्य जी
गुरुवर श्री सुनील शर्मा जी (श्री छोटे गुरु महाराज जी) के गुरु जी
श्री ब्रजमोहन शर्मा जी (श्री बड़े गुरु महाराज जी) यहाँ पर निवास करते हैं
इसी कारण इस स्थान को श्री गुरुधाम नाम दिया गया।
इस मन्दिर की स्थापना उनके शिष्य श्री सुनील शर्मा जी, बड़े गुरु जी के ज्येष्ठ पुत्र भी है, के द्वारा की गई, इनका सोचना था कि जिस धरा पर मेरे पूज्य गुरु जी श्री ब्रजमोहन शर्मा जी
(श्री बड़े गुरु महाराज जी) के चरण पड़े हो, जहाँ उन्होंने तप किया हो, जो उनकी कर्मभूमि हो, उससे उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता। इसलिये उन्होंने इस धरा पर ही अपने पूज्य गुरु जी के तपोस्थली को श्री गुरु धाम मन्दिर के रूप में स्थापित किया।
श्री गुरु धाम मन्दिर मोदीनगर, जिला गाजियाबाद की स्थापना 17, 18 व 19 फरवरी 2017 को हुई तथा विधिवत प्राणप्रतिष्ठा के उपरांत 20-02-2017 को श्री गुरु माँजी श्रीमति सन्तोष रानी शर्मा जी (धर्मपत्नी पूज्य श्री गुरु पं0 ब्रजमोहन शर्मा जी) के कर कमलों के द्वारा श्री बड़े गुरु जी की प्रथम पुण्य तिथि पर मन्दिर का लोकापर्ण किया गया।
मन्दिर की रूपरेखा श्री छोटे गुरु जी ने पहले ही तैयार कर ली थी।
पूज्य बड़े गुरु जी ने इस भौतिक संसार से विदा लेने की तिथि कुछ लोगों को पहले ही बता दी थी तथा श्री गुरु माँजी के गमन की तिथि का आभास कुछ लोगों को दे दिया था। अतः इस सब बातों को ध्यान में रखते हुये श्री बड़े गुरु जी के ब्रहमलीन होने के एक वर्ष के अन्दर ही श्री छोटे गुरु जी ने मन्दिर का निर्माण कर अपने पिता की ‘श्री गुरु भगवान जी’ के मन्दिर बनवाने की इच्छा को पूर्ण किया। इस मन्दिर के भूतल में प्रवेश करते ही श्री बड़े गुरु जी की मनोहारी प्रतिमा विद्यमान है, ऐसा लगता है जैसे गुरु जी साक्षात रूप में बैठे हुए अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान कर रहे हो। इस मन्दिर में श्री गुरु भगवान जी (गुरु बृहस्पति देव) अपने युवावस्था वाले रूप में विराजमान हैं (जो कि पूज्य बड़े गुरु जी के गुरु जी थे) साथ में श्री बाला जी महाराज जी, श्री हनुमान जी, श्री देवी जी, श्री राधेकृष्ण तथा श्री लड्डू गोपाल जी व शिव परिवार विराजमान है। प्रथम तल पर श्री बड़े गुरु जी व श्री गुरुमाता जी तथा श्री राम दरबार, श्री सरस्वती देवी जी, श्री लक्ष्मी देवी जी व पूज्य बड़े गुरु जी के कुछ सुखद स्मृति चिन्ह भी यहां बहुत सुन्दर ढंग से संजोकर रखे गये हैं। यह 25 फरवरी श्री गुरु जी की पंचम पुण्य तिथि पर श्रृद्धालुओं के दर्शनाथ खोल दिया जायेगा। यहां की प्रकाश व्यवस्था भक्तों का ध्यान अपनी ओर आर्कषित करती है।
दोनों तल पर शोभामयान करती हुई ‘‘अखंड ज्योति’’ निरन्तर भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। श्री गुरु धाम मन्दिर का प्रमुख आर्कषण यहां प्राण प्रतिष्ठित देव प्रतिमाएं व उनका श्रंगार है जो भी भक्त यहां आते हैं देव प्रतिमाओं की सजीवता उनकी सुन्दरता व उनका ऋतु अनुसार यथोचित श्रृंगार देखकर मन्त्रमुग्ध हो जाते हैं।
भक्तों की व्याकुलता परेशानी व दुःख यहां आने के बाद कहां विलुप्त हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता। इस स्थान पर पहले पूज्य बड़े गुरु जी (श्री ब्रजमोहन शर्मा जी) लोगों के दुःख तथा उनकी समस्याओं का निराकरण करते थे पूज्य बड़े गुरु जी को ब्रहमलीन होने के पश्चात अब श्री छोटे गुरु जी (श्री सुनील शर्मा जी) उक्त परम्परा का पालन करते हुये भक्तों के जनकल्याण में लगे हुये हैं। यहां आने के बाद भक्त लोग श्री छोटे गुरु जी से उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर उनके दर्शनाथ कर लाभान्वित होते हैं। यहां भक्त लोग अपने घर से श्री गुरु भगवान जी के लिये सूजी के हलवे का भोग बनाकर लाते हैं तथा पूज्य बड़े गुरु जी के लिये जलेबी का भोग लगाकर समस्त भक्तों में वितरित करते हैं। श्री छोटे गुरु जी की कामना है कि जो भी भक्त श्रद्धा व
समर्पण का भाव लेकर श्री गुरु भगवान जी के चरणों में मनोकामना करें
उसका कल्याण हो जाये।